मुक्तक
कभी मैं न रहूं, पीछे से मेरा नाम लेना तुम
जो लम्हें साथ में गुजरे वो लम्हें थाम लेना तुम ।
कभी जब याद आऊं और तुम्हारी आंख भर आए
हवाओं से, घटाओं से मेरा पैगाम लेना तुम ।।
— साधना सिंह
कभी मैं न रहूं, पीछे से मेरा नाम लेना तुम
जो लम्हें साथ में गुजरे वो लम्हें थाम लेना तुम ।
कभी जब याद आऊं और तुम्हारी आंख भर आए
हवाओं से, घटाओं से मेरा पैगाम लेना तुम ।।
— साधना सिंह
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बहुत सुंदर मुक्तक !