कविता

आक्रोश

मुझे आक्रोश है आज भी
उन लोगों से जिन्होंने
मेरा साथ तब छोड़ा
जब मुझे सबसे ज्यादा जरूरत थी।

मुझे आक्रोश है आज भी
उन लोगो से  जिन्होंने
मेरी मोहब्बत को तब ठुकरया
जब मुझे किसी की प्यार की जरूरत थी।

मुझे आक्रोश है आज भी
उन लोगो से  जिन्होंने
जिन्होंने अपना बनाकर तो
मुझे गले लगाया पर
मेरी पीठ पीछे खंजर भी चुभाए।

मुझे आक्रोश है आज भी
उन लोगो से  जिन्होंने
मुझ से अपना मतलब निकाला
मगर मेरी जरूरत के समय
मुझे बेनिताह ठुकराया।

राजीव डोगरा

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- [email protected] M- 9876777233