मुक्तक/दोहा

कबीर को समर्पित दोहे

हार नहीं सकते कभी , मन में ले विश्वास।
जीत नहीं सकते कभी,शंका के बन दास।
नागिन सी डसती रही,उसको जग की पीर।
सब मस्ती से  सो गये, जगता  रहा  कबीर।
देख बेतुका ये जहां, तन मन हुआ अधीर।
जग हमीद जैसा दिखा, वैसा कहा कबीर।
एक खुदा  वहदानियत, सबसे रही अज़ीज़।
बौनी   उसके   सामने, दुनिया की हर चीज़।
खाता  है  बस  रोटियाँ , खाली  पेट  फकीर।
मुल्क और मिल्लत सभी, खाता फिरे अमीर।
— हमीद कानपुरी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - [email protected] मो. 9795772415