नीम की शीतल हवा
ग्रीष्म ऋतु में संगिनी सी, नीम की शीतल हवा।
दोपहर में यामिनी सी, नीम की शीतल हवा।
झौंसता वैसाख जब, आती अचानक झूमकर
सब्ज़ वसना कामिनी सी, नीम की शीतल हवा।
ख़ुशबुएँ बिखरा बनाती, खुशनुमाँ पर्यावरण
शांत कोमल योगिनी सी, नीम की शीतल हवा।
खिड़कियों के रास्ते से, रात में आती सखी
मंत्र-मुग्धा मोहिनी सी, नीम की शीतल हवा।
तप्त सूरज रश्मियों को, ढाल बनकर रोकती
भोर में मृदु-रागिनी सी, नीम की शीतल हवा।
बाँटती जीवन बिठाती, गोद में हर जीव को
प्यार करती भामिनी सी, नीम की शीतल हवा।
रोग दोषों को मिटाती, फैलकर इसकी महक
बाग वन में शोभिनी सी, नीम की शीतल हवा।
-कल्पना रामानी नवी मुम्बई
हार्दिक धन्यवाद समर नाथ मिश्र जी
AHA !!!
MARVELLOUS !!
Pure ‘TATSAM’ words make it worth one.
SADHUVAAD