बिछड़ते अपने
रमेश की मां इन दिनों बहुत खुश है 55 साल की आयु में बेटे के यहाँ बच्चे होने की खुशी में रमेश की मां बहुत खुश है और धरती पर अपने पोते पोती के आने के इंतजार में अपनी खुशी सभी से बांट रही है।
आखिर वह दिन भी आया जब उनके यहां पर एक पुत्री का जन्म हुआ। रमेश की मां बहुत खुश है।पोती के होते ही रमेश ने अपनी मां को वीडियो कॉल की क्योंकि रमेश अमेरिका में रह रहा है और उसकी मां यहां भारत में है।
रमेश की मां अपनी पोती को गोदी में तो नहीं ले पाई लेकिन उसे इस बात की खुशी थी कि कम से कम वीडियो कॉलिंग के जरिए ही सही उसने उसका चेहरा देख लिया और अपनी पोती का चेहरा देखते ही रमेश की मां की आंखें खुशी से भर आई।
काश वो उसे गोदी में भी ले पाती आज बहुत से मां-बाप अपने बच्चों को बाहर पढ़ने के लिए भेजते हैं या उनके बच्चे अपनी जॉब की वजह से विदेशों में रहने लगते है।फिर उनकी एक झलक केवल वीडियो कॉलिंग के जरिए पाते हैं और अपनी अगली पीढ़ियों का दर्शन वीडियो कॉलिंग से ही हो पाता है।
कुछ सालों बाद जब वह अपने दादी बाबा से मिलने भी आते हैं और अगर दादी बाबा इंग्लिश में पढ़े लिखे ना हो यानी कि अंग्रेजी भाषा का ज्ञान ना हो तो वो अपने पोते पोती की भाषा नहीं समझ पाते और वो बच्चे अपने दादी बाबा की भाषा नहीं समझ पाते क्योंकि उन बच्चो हिंदी भाषा का ज्ञान नही होता।
आजकल विकास की दौड़ में और भाषा की भिन्नता की वजह से रिश्ते भी एक दूसरे को समझने के काबिल नहीं रहे।ये मेरी सोच हो सकती है।हो सकता है मेरी सोच पुरानी हो लेकिन क्या ये विषय चिंतनीय नही है????