कविता

योगा

योगा दिवस मनाने मे,हो गये सब मशरूफ।
रोज कमाना है रोटी जिसे,योगा कैसे करे वो मजबूर।।

दो रोटी कमाने की खातिर गरीब की मेहनत इतनी हो जावे ।
जैसे ही सोये गरीब जमीन के बिस्तर पर,उसे नींद झट से आ जावे।।

सब चोंचले दिखावै है कुछ लोगो के,योगा दिवस पर।
ये वही है जो अपने दफ्तरों में 12 बजे काम करने जावे।।

दिन भर करे मौज मस्ती,खूब गुटका पान चबावे।
रात करे मदिरा पान,अपने रहन सहन पर खूब इतरावे।।

योगा नाम है त्याग का,किसी को ये समझ ना आवे।
एयरकंडीशनर मैं सोता है जो उसे क्या पता किसान कैसे पसीना बहावे।।

अगर सही में योगा करना है तो किसी के काम आते है।
आओ चलो आज किसी गरीब को दो निवाले खिलाते है।।

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- [email protected] एवं [email protected] ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)