अब ऊबाऊ लगने लगा स्वच्छता का पाठ
प्रधानमंत्री जी के महत्वपूर्ण मिशन से अब कर्मचारियों को घबडाहट सी होने लगी है। अधिकारी से लेकर ग्राम सभा के ग्राम प्रधान तक इस मिशन से खासा ऊबे दिखाई दे रहे हैं। प्रधानमंत्री जी का मानना है कि किसान सम्मान एवं स्वच्छ भारत मिशन की सहायता से ही एक बार फिर पूर्ण बहुमत से सरकार बनी है। पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की ओर से पूरे देश में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामींण की योजना तैयार करके देश के प्रत्येक पात्र नागरिक को केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार की सहायता से हर घर में एक इज्जत घर का निर्माण कराया गया है। इसका मुख्य उद्देश है गन्दगी को मात देना यही नही हर घर में शौंचालय बन जाने से महिलाओं के साथ होनें वाली शर्मनाक घटनाओं में भी भारी गिरावट देखने को मिलती है इसका कारण है ग्राम पंचायतों का ओडीएफ हो जाना।
एक ओर जहां देश का हर गरीब अपने घर में इज्जत घर बनवाने के लिए आतुर दिखाई दे रहा है वहीं दूसरी ओर इससे जुडेे कर्मचारी एवं सरपंच इससे दूर भागने की कोशिश कर रहें। अंधिकांश जगहों पर देखा गया है कि कहीं -कहीं पर इज्जत घर बनाने के बाद चित्रकारी का भी बहुत सुन्दर प्रदर्शन किया गया, और कहीं कहीं पर बद्-से बत्त्तर स्थित भी सामने आ रही है, 2 अक्टूबर 2014 को जन्मा यह मिशन शुरूवाती के कुछ वर्षाें में बहुत अच्छा चलता दिखाई दे रहा था, किन्तु धीरे धीरे यह मिशन में ठेकेदारी प्र्रथा हाबी हो गयी और यह मिशन भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया, स्वच्छता का पाठ पढने से सभी लोग कतराने लगे क्योंकि यह पाठ समाज की दशा और दिशा बदलने वाला है इस लिये इसमें सभी कहीं न कहीं से कठिनाई नजर आने लगी।
भारत सरकार द्वारा दी गयी गाईड लाईन से हटकर अब निर्माण देखने को मिल रहा है पंचायत सचिवों को प्रतिदिन निर्माण का लक्ष्य निर्धारित होने कारण वह भी किसी तरह से निर्माण करवा कर इति श्री करना चाह रहें है। उधर ग्राम प्रधान को भी इज्जत घर बनाने के बाद कुछ बचता दिखाई नही दे रहा है, इस लिये अब 12 हजार के इज्जत घरों में प्रधानों ने रूचि लेना ही बन्द कर दिया। लगातार निर्माण का स्तर गिरने के कारण जनपद स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक इसकी सूचना हो गयी इस सबन्ध में प्रत्येक जनपद के अधिकारियों द्वारा इसकी समीक्षा बैठक की जाने लगी उसके बाद भी जब कोई असर दिखाई नही पड़ा तो ग्राम प्रधानों एवं सचिवों को इस बात की नोटिस दी जाने लगी कि आप के द्वारा इस कार्य में रूचि नही ली जा रही है।
सरकार द्वारा एक तीर से कई निशाने लगाने वाली नीति के कारण भी इस मिशन में अब घुन लगना शुरू हो गया है, जमीनी स्तर पर इसे अब मजबूत बनानें की बजाय कमजोर बनाया जा रहा है। सरकार ने इज्जत घर बनानें का जिम्मा पंचायतराज विभाग को शौंप दिया था जहां कि खाऊ कमाऊ नीति से सभी चिरपरिचित है। इस विभाग के कर्मचारी बड़े काम में बडी बचत तलासते रहते हैं, यह मिशन भी उन्ही के हवाले कर दिया गया है, यह मिशन बडा भी है और महत्वपूर्ण भी किन्तु इसमें दूर दूर तक कहीं बचत दिखाई नही दे रही है इस लिये अब यह कार्य इससे संबन्धित अधिकारिकों को सिरदर्द दिखाई देने लगा है। सोचने वाली बात यह है कि हम इस मिशन से समाज की दशा और दिशा बदले जा रहे है देश के हर नागरिक के मन में स्वच्छता की दीप जला कर उसे प्रकाशमय करना चाह रहे हैं इस लिये इस मिशन को सीधे सरकार और जनता के बीच प्रसारित किया जाना चाहिए था या तो जहां इतने महकमों का बोझ उठाया जा रहा है वहीं एक और महकमा बना कर तैयार कर दिया जाता, पहले से फलफूल रहे पैधे में पानी डालने से क्या फायदा। एक ओर सरकार बेरोजगारी दूर करने का प्रयास कर रही है तो वहीं दूसरी ओर जिसको विभाग बनाना चाहिए उसके मिशन बनाये बैठी है, और इस मिशन की बागडोर भी उनके हाथों में थमा दी है जो पहले से ही बहुत बडे कलाकार है, तुम धुन चाहे जैसी बजाओं वे थिरकेगें तो अपने ही अंदाज में।
— राजकुमार तिवारी (राज)