गज़ल
सच की तल्खी भले ज़ुबान में रख
नज़ाकत मौके की भी ध्यान में रख
मसले बातों से भी हल होते हैं
अभी शमशीर अपनी म्यान में रख
ऊँगली औरों पे उठाना पीछे
पहले खुद को तू इम्तिहान में रख
मुश्किलें हैं तो हल भी निकलेगा
यकीं थोड़ा सा तो भगवान में रख
मुझे झूठा भले ही साबित कर
अपने सच को भी तो मीज़ान में रख
हिसाब हर बात का देना होगा
हश्र को भी ज़रा इमकान में रख
— भरत मल्होत्रा