गज़ल
ले तलब आंखे साजिश क्या करें
खेत बंजर है तो बारिश क्या करें
मिलन आँसू प्यास पाई जो धरा
तन्त्र पाये रास साजिश क्या करें
आस दरिया की नदी पाने से बनी
मेल पल भर सा आतिश क्या करें.
हैं तमन्ना दिल गज़ल कोई भी बने
तेज़ नश्तर चुभा माचिश क्या करें.
सोच में रफतार पाये ही जब चलें
रकीब कायल समझ कोशिश क्या करें
सादगी ले जब नुमाइश सी करे
जान जहिनत में गुज़ारिश क्या करे.
हाथ जोडे “रेखा” इवादत सिदक पे
रोज़ तालुक में सिफारिश क्या करें.
— रेखा मोहन