संगीत: एक स्वर्णिम सेतु
अंतर्राष्ट्रीय संगीत दिवस 21 जून पर विशेष
संगीत में वह कोमलता है,
जो पत्थर को मोम बना दे,
जो पर्वत को राई कर दे,
चट्टानों को चूरा कर दे.
संगीत में वह मादकता है,
जो मनुष्य को मानवता दे,
झूठे मद को चूर-चूर कर,
सच्चेपन से जीवन भर दे.
संगीत में वह सुंदरता है,
जो अग-जग को सुंदर कर दे,
सच्चे सौंदर्य की आभा से,
आभामय जगजीवन कर दे.
संगीत में वह है गंभीरता,
अंतस्तल में पैठ करे जो,
मानव की सद्प्रवृत्तियों को,
जगा-बढ़ाकर भला करे जो.
संगीत में वह मधुरता है,
अहि-कुरंग को मादिल कर दे,
बंजर में जो कुसुम खिला दे,
दुष्टों की दानवता हर ले.
संगीत कला के लिए कला है,
और कला जीवन के हेतु,
कला और जीवन का संगम,
सुगम करे शुभ संगीत-सेतु.
विभिन्न देशों-भाषाओं में संगीत एक स्वर्णिम सेतु है. विभिन्न देशों की भाषाओं, खानपान, वेषभूषा में भले ही अंतर हो, पर संगीत में सुर सात ही होते हैं. संगीत की महिमा अपरंपार है. यह दुःख हरने और खुशियां देने में समर्थ है. आप जानते ही होंगे कि आजकल पशुओं को दूध देते समय संगीत सुनाया जाता है और वे दूध अधिक मात्रा में देते हैं.