क्षणिकायें
क्रोध
क्रोध जितना भी आप करेंगे श्रीमान
इससे होगा खुद का नुकसान
अतः भीतर के क्रोध को
बाहर न आने दें
उसे भीतर ही खत्म कर दो।
आत्मीयता
मन के भीतर यदि
भरा हुआ हो छल कपट
पहले उसे बाहर निकालो
फिर वहाँ आत्मीयता का खाद डालो
जिससे जो भी पौधा उगेगा
वो ठंडी छाँव देगा
स्वार्थवश
लोग आत्मीयता का मुखौटा लगाकर
स्वार्थवश आपस में प्रेम जताते हैं
फिर अवसर देखकर
वे आपको आँखें दिखाते हैं
अपशब्द
किसी को भी आप बेवजह
कटु शब्दों का करेंगे इस्तेमाल
तब खुद ही बिछा लोगे
अपने लिए जाल!
— रमेश मनोहरा
शीतला माता गली, जावर, रतलाम