गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

आयेगी कब खुशियाॅं वो सहर ढूंढ़ रहा हूॅं साहिल पर ही न डूबा दे लहर ढूंढ़ रहा हूॅं पीले साम्प्रदायिकता का ज़हर सारा ही वो फिर इस ज़मीं पर मैं वही शंकर ढूंढ़ रहा हूॅं खो गया है इस कदर अब वो मिलता नहीं यहाॅं कल तक था नक़्शे पर वो शहर ढूंढ़ रहा हूॅं […]

गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

जब भी मिले प्यार से मिले मियां फिर मत करिये शिकवा गिले मियां एक दिन निश्चित खुले उसकी पोल उसके नाम तो हैं घपले मियां कई पीढ़ियां तर जायेंगी यार रिश्तों की माला जप ले मियां कोई असर होगा नहीं इन पर कसिये कितने आप जुमले मियां बढ़ गई हैं दिलों की जो दूरी मिटाए […]

मुक्तक/दोहा

झुकता देख माथ

चमचों को आज तक भी, समझ सके ना आप दो मुँह वाला है यही, इक जहरीला साँप प्यार ना पा सकते कभी, खुद चमचों से यार डूबा देता आपको, जाकरके मझधार हर युग में चमचे रहे, फैला करके पाँव बचा नहीं आज तक भी, इसी से शहर गाँव चमचे ने पकड़ा यहाँ, जिस आका का […]

गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

प्रेम सद्भाव की बात करें एक दूजे पर ना घात करें रिश्तो में छलके कोमलता इस तरह से मुलाकात करें ना तरसे अब कोई भी घर वहाँ सावन सी बरसात करें न हो देश का नुकसान कभी ऐसी ना खुराफात करें हिंदुस्तानी बनकर रहे इसमें पैदा ना जात करें — रमेश मनोहरा

गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

खुली हवा का दालान नहीं मिला रहने को ऐसा मकान नहीं मिला घूम लिया तेरा यही सारा शहर कोई भी यहाँ इंसान नहीं मिला खप गया वह सारी ज़िंदगी यारों फिर भी देख उसे सम्मान नहीं मिला बुजदिली जिसकी नस-नस में भरी वह जोश भरा आह्वान नहीं मिला पैसों के लिए दौड़ रहा आदमी फिर […]

गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

वैसाखियाँ थामें चल रहे हैं वे इसलिए बार-बार फिसल रहे हैं वे ये जानकर की धमक से गिरेगा वो फिर भी उसी पुल पर चल रहे हैं वे इन दीयों में नहीं है तेल फिर भी उसी अंधेरे को निगल रहे हैं वे भूख का हल नारों से होता है इसलिए नारों से बहल रहे […]

गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

मत बदल अपने उसूल मियाँ सच पर ही सदा तू झूल मियाँ होगी एक दिन ही विजय तेरी दे कितने भी तुझे शूल मियाँ एक बार कर चुका है सरेआम मत करें फिर से वो भूल मियाँ जो भी दुश्मन है तेरा यहाँ उसको चटा अब तो धूल मियाँ चलते रहना मंजिल तक तुझे मिले […]

गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा हिन्दुस्तान है सबकी आँखों का है तारा मेरा हिन्दुस्तान है सूर मीरा तुलसी हों या हों रहीम रसखान बहाई सबने भक्ति की धारा मेरा हिन्दुस्तान है राम कृष्ण महावीर गुरु गोविंदसिंह को पाकर धन्य हुआ है देश सारा मेरा हिन्दुस्तान है गंगा जमुना सरस्वती के पावन जल को छूकर सबने […]

गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

एक तरफ शंख बजे दूजी तरफ अजान है यही पुल तो कौमी एकता की पहचान है हो जाते हैं आपस में सभी कौम के एक जब जब भी गीता से मिलती कुरान है होती नहीं धर्म मजहब की कभी लड़ाई पास इनके एकता की मजबूत चट्टान है अनेकता में एकता का देख तू यह मिलन […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

लोग अधिक ही घबराये हुए हैं नदी के तट पर घर बनाये हुए हैं भीड़ में कैसे पहचानोगे उसे जबकि वो मुखौटा लगाये हुए है शतरंज के हैं वे माहिर खिलाड़ी हरेक गोटियाँ भी बिछाये हुए हैं भले ही उपलब्धि को शून्य मगर वे सब पर अपनी धाक जमाये हुए हैं टूट गयी महँगाई से […]