साहस के पुतले
इस धरती की कठिन डगर पर, आगे बढ़ते जाएंगे
साहस के पुतले बनकर हम, जग को स्वर्ग बनाएंगे-
आज हमारी आजादी पर, पांव पड़े गद्दारों के
आज हमारी सीमा पर हैं, डेरे खूनी सायों के
नई पौध के नन्हे अंकुर, बन महान दिखलाएंगे
साहस के पुतले बनकर हम, जग को स्वर्ग बनाएंगे-
हममें से कोई राणा होगा, कोई वीर शिवा होगा
कोई होगा गांधी-गौतम, कोई कृष्ण दिवा होगा
नन्हे-नन्हे नौनिहाल हम, जग-दर्पण महकाएंगे
साहस के पुतले बनकर हम, जग को स्वर्ग बनाएंगे-
नई-नई खोजें करके हम, नया चमन महकाएंगे
कोई दुःखी रहे न यहां पर, ऐसा जगत बना सकते
छोटे हैं हम फिर भी जग में, काम बड़े कर जाएंगे
साहस के पुतले बनकर हम, जग को स्वर्ग बनाएंगे-