प्रेम….
प्रेम
सुनो !
हरदिन तुम्हारा जल्दी जाना
और देर से आना
मुझे उदास कर देता है
जानते हो ना !
तुम्हारे प्रेम में हूं मैं….
फिर मौसम का सुहाना भी
जेठ की दोपहरी सा लगता है
जब तुम होते हो साथ
मेरा हर पल त्योहार सा लगता
मेरा सजना-सवरना
और तुम्हारे इर्द-गिर्द ही
मेरी उपस्थिति
मुझे अथाह खुशियों की सौगात देता
बस यूँही चाहत मेरी
तुम्हारे करीब होकर
जिंदगी की खूबसूरती
जिसे प्रेम कहते हैं, में खोई रहूं
इन प्रेम अनुभूतियों को
बनाकर मन का लिवास
लपेट लूं यौवन में
हृदय में उतारूँ बस सुकून की सांसे
ताकि जिंदगी शांति के पल तलाश लें।
न हो कोई दुख दर्द के नामोनिशां
बस प्रेम बहे अंतस में
आना तुम अपने नियत समय पे
मैं करूंगी इंतजार तुम्हारा
हरदिन की भांति…..
आज भी कल भी परसों भी
निरन्तर जबतक चलती रहेगी मेरी साँसें…….
क्योंकि मैं प्रेम में हूं तुम्हारे !