भारतीय संस्कृति
भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन संस्कृति है, दुर्भाग्य यह है कि भारतीय अपनी संस्कृति भूलते जा रहे हैं, और अंग्रेज भारतीय संस्कृति अपना रहे हैं। भारतीय संस्कृति का क्षेत्र सभ्यता से कहीं व्यापक और गहन है, सभ्यता का अनुकरण तो किया जा सकता है पर संस्कृति का नहीं।
संस्कृति सब से तात्पर्य किसी भी देश, जाति, और समुदाय की आत्मा होती है। संस्कृति से ही समस्त संस्कारों का बोध होता है। संस्कृति का साधारण अर्थ होता है संस्कार, सुधार, परिष्कार, शुद्धि सजावट आदि। भारतीय संस्कृति में महान समायोजन की क्षमता है, इसमें बहुत सारी संस्कृति आकर समायोजित हो गई हैं, इसी वजह से भारतीय संस्कृति लगातार आगे बढ़ती जा रही है।
भारत के संस्कृति की मूल भावना वसुदेव कुटुंबकम के पवित्र देश पर आधारित है, अर्थात सभी सुखी हों, सभी निरोग हो, सबका कल्याण हो, किसी को भी दुख प्राप्त ना हो, ऐसी पवित्र भावनाएं भारतवर्ष में सदैव प्राप्त होती रहे। भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि हजारों साल के बाद भी यह अपने मूल स्वरूप में जिंदा है। भारत में नदियों, वट, पीपल जैसे वृक्षों की पूजा देवी देवताओं की पूजा का क्रम सदियों से चला आ रहा है।
कण कण में भगवान है और उनमें आस्था सदियों से है। आत्मा परमात्मा के अस्तित्व में विश्वास रखते हैं। भारतीय संस्कृति में धर्म अर्थ और मोक्ष की विशेष विशेष स्थान रहा है। अनेकता में एकता के दर्शन भी भारतीय संस्कृति ही कराती है। बड़ों का सम्मान और छोटों का प्यार अहंकार रहित होता है। गुरु की पूजा करना उन्हे भगवान से बड़ी उपाधि देना भारतीय संस्कृति सिखाती है। भारतीय संस्कृति एक महान जीवनधारा है। जो प्राचीन काल से सतत प्रवाहित है। विशालता उदारता सहिष्णुता की दृष्टि से भारतीय संस्कृति अग्रणी स्थान रखती है।
— गरिमा