अठखेली
मन चल मिट्टी में मिट्टी होकर, यौवन को महकाते हैं,
जल-मिट्टी में लथपथ होकर, साथी का हाँथ बटाते हैं।
अगर शरारत हो करनी तो, देना है कीचड़ जरा उछाल,
पास बुलाकर प्रेम छुअन से, प्रियतम के होश उड़ाते हैं।।
।।प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदीकला, सुलतानपुर
7978869045