ग़ज़ल
आ के बैठा हूँ किनारे आ सको तो पास आओ।
मन तुझे ही बस पुकारे आ सको तो पास आओ।
एक पल सोया नहीं हूँ रात भर जागा तेरे बिन,
हैं गवाही में सितारे आ सको तो पास आओ।
ऋतु सुहानी हो गयी है, मन मयूरा नाच ता है,
छा गये बादल हैं कारे आ सको तो पास आओ।
चाँदनी भर पूर फैली जगमगाते हैं सितारे,
खूबसूरत हैं नज़ारे आ सको तो पास आओ।
मन अकेला जन अकेला तन अकेला घर अकेला,
मिल रहे अच्छे इशारे आ सको तो पास आओ।
— हमीद कानपुरी