कविता
हमें न मालूम है
न मालूम करना चाहते हैं।
हमें इश्क था
हमें इश्क है,
और इश्क ही
बस करना चाहते हैं।
न जीवन का
ठिकाना पता है,
न मृत्यु का
अट्हास का सुना है।
हर घड़ी,हर पल
उल्हास में जीवन
जिया है।
जी रहे हैं
और बस जीना चाहते हैं।
न दुख की अनुभूतियों में
ग़म किया।
न सुख की अनुभूतियों में
उल्लास किया।
मदमस्त जीवन जिया
और जी रहे हैं
और जीते रहेंगे।
— राजीव डोगरा