मुस्कुराती सुबह,
खिलखिलाती
दुपहरी,
सुरभित शाम,!
वक्त लिख जाता,
जब तुम्हारा नाम !!
व्यस्ततम क्षण भी
बढ़ाते हैं ,
यादों के आयाम !
चितवनें प्रतिपल
खोजतीं तुम्हें,
लिखतीं हैं
हवाओं पर पत्र,
तुम्हारे नाम !!
खुशियां दिल में
गमकतीं हैं ‘
प्यार की सुगंध
आती है आत्मा से,
मुस्कानें बोलतीं हैं
सतत ,
होठों पर
होता है विराम !!
मुस्कुराती सुबह,
खिलखिलाती दुपहरी,
सुरभित शाम !!
— रागिनी स्वर्णकार (शर्मा)