लावणी छंद गीत – गुरु वन्दना
गुरु पद रज मैं मस्तक धारूँ ,
गुरु मेरा उद्धार करो ।
दुख संकट से आन् उबारो ,
प्रभु मुझ पर उपकार करो ।।
मन के महा सिंधु में प्रति-पल,
घमासान सा रहता है ।
उथल-पुथल अति हलचल भारी ,
चंचल मन ये सहता है ।
सद्गुरु अंतस बीच पधारो
,कर विनती स्वीकार करो ।।
दुख संकट से आन् उबारो ,
प्रभु मुझ पर उपकार करो ।।
प्रथम शिक्षिका माता मेरी ,
दूजे सद्गुरु आप बने ।
वैतरणी का रहा नही डर ,
चाहे घेरे भँवर घने ।
हाथ पकड़कर बचा मुझे लो ,
भव सागर से पार करो ।।
दुख संकट से आन् उबारो
,प्रभु मुझ पर उपकार करो ।।
पाँव पखारूँ म़ै गुरुवर के,
पूजन कर प्रभु को ध्याऊँ ।
जनम जनम से भटक रही हूँ ,
मार्ग मुक्ति का अब पाऊँ ।
अमृत आप, मैं पानी गँदला
निर्मल मन इक बार करो ।।
दुख संकट से आन् उबारो
,प्रभु मुझ पर उपकार करो ।।
— रीना गोयल (हरियाणा)