वरिष्ठ नागरिकों के लिए दैनिक व्यायाम
“हमें कौन से व्यायाम प्रतिदिन करने चाहिए?” यह प्रश्न वरिष्ठ नागरिकों के सामने हमेशा बना रहता है। सही जानकारी और उचित मार्गदर्शन के अभाव में वे दूसरों की देखा-देखी तरह-तरह के व्यायामों को आज़माते हैं और प्राय: हानि उठाते हैं।
ध्यान में रखने की बात यह है कि वरिष्ठ नागरिकों को अपना शारीरिक बल बढाने की नहीं, बल्कि बनाये रखने और शरीर के सभी अंगों को चलाये रखने की आवश्यकता होती है। इसलिए उनके व्यायाम ऐसे होने चाहिए जिनसे शरीर के सभी अंगों और जोड़ों का पर्याप्त व्यायाम हो जाये और किसी भी अंग पर अधिक ज़ोर न पड़े।
इसलिए वरिष्ठ नागरिकों को कठिन व्यायामों जैसे सूर्यनमस्कार, दंड-बैठक, दौड़ना, जिम में मशीनों पर करायी जाने वाली कसरतों आदि से बचना चाहिए। इनके स्थान पर उनको टहलने के अलावा विभिन्न अंगों और जोड़ों के अलग-अलग व्यायाम करने चाहिए, जिन्हें यौगिक सूक्ष्म व्यायाम कहा जाता है। ये सूक्ष्म व्यायाम सरल होते हुए भी बहुत प्रभावशाली होते हैं और इनसे कोई हानि होने की कोई संभावना नहीं होती।
इनके साथ ही यदि वे चाहें तो दो चार सरल आसन भी कर सकते हैं। लगभग आधा घंटा आसन-व्यायाम करने के बाद उनके लिए १५-२० मिनट प्राणायाम करना भी आवश्यक है।
यहाँ मैं ऐसा व्यायाम क्रम दे रहा हूँ जो हर आयु-वर्ग के वरिष्ठ नागरिकों के लिए समान रूप से उपयुक्त है। इसी क्रम में करने से इनका पूरा लाभ मिलता है।
– पवन मुक्तासन
– भुजंगासन
– रीढ के व्यायाम (मर्कटासन या क्वीन और किंग एक्सरसाइज़)
– नेत्र, मुख और ग्रीवा व्यायाम
– उंगली, कलाई, कोहनी और कंधों के व्यायाम
– पंजों, पैरों और घुटनों के व्यायाम
– कपालभाति प्राणायाम
– अनुलोम विलोम प्राणायाम
– भ्रामरी
– उद्गीत (ओंकार ध्वनि)
ये सभी व्यायाम और क्रियायें मेरी लिखित पुस्तिका “स्वास्थ्य रहस्य” में विस्तार से बतायी गयी हैं। इनके वीडियो भी उपलब्ध हैं।
— डॉ विजय कुमार सिंघल
आषाढ़ पूर्णिमा, सं २०७६ वि (१६ जुलाई २०१९)