स्वास्थ्य

सात्विक भोजन क्या है?

प्राय: मैं अपने रोगियों को सात्विक भोजन करने की सलाह देता हूँ। वे केवल यही समझते हैं कि सात्विक भोजन अर्थात् शाकाहारी भोजन। लेकिन यह बात पूरी तरह सत्य नहीं है। हर शाकाहारी भोजन सात्विक नहीं होता।

हमारे शरीर को ऐसा भोजन चाहिए जो उसके लिए आवश्यक सभी तत्वों (प्रोटीन, वसा, खनिजों और विटामिनों आदि) की पूर्ति करता हो। इसलिए सात्विक भोजन की पहली शर्त यह है कि वह भोजन इन सभी आवश्यक तत्वों की पूर्ति करता हो और किसी की अधिकता या कमी पैदा न करता हो।

सात्विक भोजन की दूसरी शर्त यह है कि वह पचने में हल्का होना चाहिए ताकि शरीर उसमें से अपने लिए आवश्यक तत्वों को चूसकर खींच सके और बचा हुआ भाग सरलता से शरीर से बाहर निकल जाये, जिससे विकार पैदा न हों। इसप्रकार पकवान, फास्टफूड, अप्राकृतिक और बासी भोजन को सात्विक नहीं कहा जा सकता। इनको राजसी या तामसी ही कहा जा सकता है।

सात्विक भोजन की तीसरी शर्त यह है कि वह पेड़-पौधों आदि से प्राप्त हो और हिंसा करके (जीवों को मारकर) या छीना-झपटी करके प्राप्त न किया गया हो। इस प्रकार सभी प्रकार की माँसाहारी वस्तुएँ अंडा, माँस, मछली आदि तामसी हैं। केवल अपनी माँ और गाय से प्राप्त दूध सात्विक कहा जा सकता है। भैंस, बकरी, भेड़, ऊँटनी आदि का दूध भी राजसी या तामसी होता है।

सात्विक भोजन की अंतिम शर्त यह है कि वह भोजन आपकी परिश्रम एवं धर्मपूर्वक की हुई आय से प्राप्त किया गया हो। चोरी या बेईमानी से अथवा दूसरों के पेट पर लात मारकर कमाये गये धन से उपलब्ध किया हुआ भोजन हमेशा तामसी होता है और शारीरिक व मानसिक रोग ही पैदा करता है। इसलिए ऐसे भोजन से बचना चाहिए। बेईमानी के धन से सुख और स्वास्थ्य की आशा करना मूर्खता है।

— डॉ विजय कुमार सिंघल
श्रावण कृ १, सं २०७६ वि (१७ जुलाई २०१९)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]