गीतिका
मेघ बरसे लगे मनों -भावन
साथ पाया सुना बनी गर्जन|
प्रेम करता हुआ रहा आमद
दूर भागा बसा हुआ क्रंदन|
चोट खाया भले किया मंथन
होश से हो जवाब अनुबंधन |
खोज में मन हुआ लिये कंपन
मन करें बस सुझाब का पालन|
जल गिरा चाहते करें हैं नर्तन
आहटे जान लगा भरा कानन|
— रेखा मोहन