गीतिका/ग़ज़ल

निछावर

महाकवि श्री गोपाल दास नीरज जी की स्मृति में ।
आंखों में अश्क दे के, कारवां गुज़र गया।
दर्पन दिखा के सबके दिलों में उतर गया।
पंछी नयन के जागते हैं, किसकी आस में,
शबे-ग़म की तीरगी में, ढूंढता पहर गया।
आया था अज़नबी सा, दुनियां की भीड़ में,
जाते हुये कदमों के निशां, छोड़कर गया।
पल कल्प सा गुज़ारा, आहों के साये में,
जैसे के सिसकियों की, छांव में ठहर गया।
जीवन जहां खतम है, फिर वहीं शुरु किया,
सूनी सी निगाहें लिये, चलता डगर गया।
छोड़ा यहां है जो भी, अल्फाज़ उसी के,
करते हैं निछावर के, नयन अश्क भर गया।
हलचल मचा के घूम के, दिलों के भंवर में ,
लगा के जिंदगी का अंतिम , चक्कर गया।
पुष्पा “स्वाती”

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 [email protected] प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है