राजनीति

भारत में कैसा और कौन सा लोकतंत्र ?

यह लोकतंत्र है ‘, अब यह मात्र रस्म अदायगी भर रह गई है, क्योंकि लोकतंत्र रूपी इस पेड़ में सामंतवाद, परिवारवाद, फॉसिज्मवाद, अपराधवाद, मॉफियावाद, वंशवाद, गुँडावाद, संम्प्रदायवाद, जातिवाद, जुमलावाद, झूठवाद आदि घुन या दीमक लग गये हैं, जो लोकतंत्ररूपी विशाल, फलदार वृक्ष की जड़ों को ही कुतर रहे हैं, ये भारत के सभी राजनैतिक दलों में समान रूप से हैं।
अब यह पूर्णतया सिद्ध हो चुका है कि नवउदारवाद, वैश्वीकरण (ग्लोबलाइजेशन) आदि-आदि जुमले गरीबों को धनिकों द्वारा एक शोषण के ‘एक हथियार मात्र ‘ हैं, जिसके भारत में स्थापित करने वाले प्रणेता कथित महान अर्थशास्त्री सरदार मनमोहन सिंह जी, भूतपूर्व राष्ट्रपति और वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी जी, भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय पी.वी.नरसिम्हा राव जी और कांग्रेसी वित्त मंत्री पी.चीदम्बरम जी जैसे कांग्रेसी लोग थे, जिस ‘रथ ‘को अब वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दास दामोदर दास मोदी जी बगैर सोचे-समझे सरपट दौड़ाए-भगाए चले जा रहे हैं…भारत की आम जनता की भावनाओं और दुःख दर्द से बेपपरवाह वे केवल ‘अपने मन की बात ‘करते हैं, दूसरे की मन की बात ‘वे ‘कभी सुनते ही नहीं ! और यही यहाँ के लोकतंत्र का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है।
अब भारत के लगभग सभी सरकारी संस्थानों और सार्वजनिक उपक्रमों को मोदीजी के नेतृत्व में इस सत्तारूढ़ सरकार को निजीकरण करने का ‘भूत ‘सवार हो गया है। इसको सीधे निजीकरण कहने के बजाय एक नया शब्द पी.पी.पी.मॉडल { पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप } के चाशनीयुक्त शब्दाडंबर के तहत सभी संस्थाओं को निजीकरण करने के लिए अडानी, अंबानी जैसे सरकार के चहेते पूँजीपतियों से गुपचुप बात-चीत चल रही है। सम्भवतया मोदीजी के इस दूसरे शासन के समाप्ति तक रेलवे, पोस्ट आफिस, हवाईअड्डों, एम्स और बड़ेबड़े सरकारी अस्पतालों आदि को पी.पी.पी. मॉडल के तहत प्राइवेट हाथों में सौंप दिया जा सकता है। आखिर एक बात समझ में ये नहीं आ रही है कि इस देश की जनता आज शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र को निजीकरण करने की ‘कुफल ‘भुगत ही रही है, इन दोनों क्षेत्रों में इनको संचालित करने वाले  ‘मॉफियाओं ‘ द्वारा लूटपाट से आम जनता कितनी त्रस्त है !, यह किसी से छिपा नहीं है। क्या भारतीय गरीबों की ‘जीवन रेखा ‘ कही जाने वाली ‘रेलवे ‘ को भी निजी हाथों में सौंपकर यह सत्ताधारी सरकार रेलवे को भी गरीबों की पहुंच से दूर कर देना चाहती है ?

— निर्मल कुमार शर्मा

*निर्मल कुमार शर्मा

"गौरैया संरक्षण" ,"पर्यावरण संरक्षण ", "गरीब बच्चों के स्कू्ल में निःशुल्क शिक्षण" ,"वृक्षारोपण" ,"छत पर बागवानी", " समाचार पत्रों एवंम् पत्रिकाओं में ,स्वतंत्र लेखन" , "पर्यावरण पर नाट्य लेखन,निर्देशन एवम् उनका मंचन " जी-181-ए , एच.आई.जी.फ्लैट्स, डबल स्टोरी , सेक्टर-11, प्रताप विहार , गाजियाबाद , (उ0 प्र0) पिन नं 201009 मोबाईल नम्बर 9910629632 ई मेल [email protected]