मुक्तक/दोहा

मुक्तक

दिल के जख्म जमाने को दिखाया नही करते हैं,
देखने के बहाने जख्मों को, लोग कुरेदा करते है|
जिसने जख्म दिये है वह, हमदर्दी की बात करें,
महफिल हो या तन्हाई  जज्बात से खेला करते हैं|

— अ कीर्ति वर्धन