वर्षा रुपी कुदरत तांडव को….
वर्षा रुपी कुदरत तांडव को शब्द चित्र में कहते हैं।
ब्लाक करौंदी की सुनलो हम सत्य कहानी कहते हैं।।
बड़े नाम की तेज में, ग्रामीणों की देख में,
बनी सड़क अच्छी खासी, दिखने में मोटी ताजी।
बारिस की नन्हीं बूदों की चोट नहीं सह पायी,
आज बिखर गयी टूट कर हार कर बूदों से बाजी।।
तकदीर संग बाजी हार रहा है बनवारी लाल,
सर्प दंस से चंद दिन पहले पत्नी गयी स्वर्ग सिधार।
हाय इसपर भी मेरे विधाता कहर डालना ना भूला,
सब धन बारिस में खोया अब चढ़ने लगा उधार।।
जिस सड़क पर धीरे चलना भूल गए थे सब राही,
अनियंत्रित रफ्तार में होकर ठोंक रहे थे हमराही।
उसी सड़क पर गिर के मरा है शीशम पेड़ विशाल,
बिना नियंत्रण चलने वाले ठहर गए हैं सब राही।।
वैसे भी ब्लाक तलक तो कम ही जाया करते हैं
जाने वाले जाकर बस सन्नाटा पाया करते हैं।
पेड़ गिरा उसी डगर पर आवागमन हुवा बाधित,
रुके हुये हैं बीच सड़क पर जो जो जाया करते हैं।।
सुंदर-सुंदर सड़क पायी थी पापड़ बेल हजार,
मंत्री अधिकारी से मिलकर पाया था अधिकार।
भ्रष्ट व्यस्था की लालच नें डुबकी खूब लगायी,
दो दिन की बारिस में बहकर हो गयी है बेकार।।
गावों के खेतों में अब जल संसार दिखाई पड़ता है,
जहाँ कहीं भी बना है घर जलमग्न दिखाई पड़ता है।
पहले यह जल तलाबों में सरंक्षण पाया करते थे,
आज यही जल चौखट के अंदर दिखाई पड़ता है।।
हर गली मोहल्ले में देखो तो दीवारे हैं गिरी पड़ी
दीवारे गर बच गयी तो छप्पर पे छप्पर गिरी पड़ी।
चूल्हे में जलने वाले सब लकड़ी कंडे सरकंडे तैर रहे
खेतों में मक्का की फसलें तेज हवा से गिरी पड़ी।।
।।प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदीकला, सुलतानपुर
7978869045