कभी कभी करता है मन।
कभी -कभी करता है मन।
त्याग के सब उधेड़-बुन।
करूं कुछ बातें तुमसे मैं;
और कुछ तुम कहो साजन।
मन करता हैभूल ये लम्हें;
रहें हम इक दूजे में मग्न।
ये फिज़ाएं ये नदियां सब;
शांत हो बस देखें मिलन।
तुम्हारी बेताबी और बेबाकी;
मैं समझूं झुका कर नयन।
कभी न बदले प्यार का मौसम;
इस रिश्ते की उम्र हो जन्म जन्म।
तुम्हें पाने के करूं मैं हर जत्न;
मैं बसुंधरा तुम बन जाओ गगन।