मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2019 का पास होने के मायने
मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2019 का पास होने के मायने
पिछले दिनों लोक सभा ने ध्वनिमत से और आज राज्य सभा ने 84 के मुकाबले 99 मतों से तीन सालों से प्रतीक्षित अनेक आकांक्षाओं सपनों को लिए मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2019 को पास कर दिया।विपक्ष द्वारा लाये गये तीनों संशोधन एक बड़े अन्तर से अस्वीकृत हो गये।अब यह राष्ट्रपति के पास जायेगा।वहां हस्ताक्षर होते ही कानून का रूप ले लेगा।इसके कानून बनते ही मुस्लिम महिलाओं बेटियों को अपने विवाह को लेकर ऐसे अधिकार मिल जायेंगे जिससे अब तक होने वाले उनके साथ अन्याय अत्याचार में कमी आयेगी।सबसे पहले अब तीन बार तलाक अपराध होगा।दूसरे तीन साल की सजा और जुर्माना लगेगा।तीसरे पीड़ित महिला पति से मुआवजा की मांग कर सकेगी।चौथे पीड़ित नाबालिग बच्चों की कस्टडी मांग सकेगी।पांचवें मौखिक लिखित और अन्य किसी माध्यम से तलाक अपराध होगा।छठे आरोपी को जमानत के लिए मजिस्ट्रट के पास जाना पड़ेगा।जिस लड़ाई को आज से पैंतिस साल पहले आरम्भ करने का प्रयास 1984 में आरिफ मोहम्मद खान ने अपने लम्बे चौड़े भाषण से किया था वह आज फलीभूत हुई।वोट बैंक के रूप में नजर आने वाली दृष्टि वर्तमान सरकार की दूरदर्शिता से नष्ट हुई।दुनियां के बाइस मुस्लिमों देशों में ऐसा तलाक पहले से ही प्रतिबन्धित था अब भारत भी उसमें शामिल हो गया।
सैंकड़ों सालों से यह बुराई मुस्लिम समाज की महिलाओं को प्रताड़ित कर रही थी।होना तो यह आजादी के तुरन्त बाद था पर देर आये दुरुस्त आये की भांति मोदी हैं मुमकिन है सरकार ने संभव कर दिखाया।1984 में शाहबानों मामले के बाद से शाहबानों व कई अन्य महिलायें इसके लिए लड़ाई लड़ती रहीं।2014 में मोदी सरकार आने बाद और गति आयी।सर्वोच्च न्यायालय ने 2017 में तीन तलाक को अबैध घोषित किया तब सरकार हरकत में आयी और बिल का मसौदा बनाकर सदन के पटल पर रखा पर बोट की नीति छद्म समानता से दो-दो बार ट्रिपल तलाक का बिल पास न हो सका।सरकार ने विपक्ष के कई संशोधन भी स्वीकारे पर अटक गया।लाये गये अध्यादेश कोई काम न आये।पर दूसरी बार सरकार ने आते ही इस बिल को अपनी वरीयता में रखा और राज्यसभा में बहुमत से दूर होने के बाद भी अपनी रणनीति विपक्ष के बिखराव से पास करवाने में सफल हो गयी।ट्रिपल तलाक ट्रिपल राउण्ड में ही पास हो पाया।चर्चा में भाग लेने वाले जदयू टीआरएस टीडीपी एआईडीएमके सपा बसपा पीडीपी जैसे दल वाकआउट कर गये।वहीं पिछले दिनों से विपक्ष के अगुआ बने एनसीपी के शरद पवार उनके ही दल के प्रफुल्ल पटेल व कांग्रेस के चार सांसद अनुपस्थिति हो गये।कांग्रेस के डा. संजय सिंह ने मतदान से कुछ घण्टे पहले ही कांग्रेस छोड़ी और राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया।राज्यसभा में भी दलों के विचार लोक सभा की तरह अपने दल के अनुरूप ही रहे।दिग्विजय सिंह जैसों ने मुद्दे को भटकाने की कोशिश की।वहीं राज्यसभा में पास होते ही कुछ दलों के बयान बदलते नजर आये।
कुछ भी हो कुल मिलाकर दिल्ली से जयपुर लखनऊ बनारस बंगलौर आदि शहरों से महिलाओं के खुशी बनाने की खबर आयी है।मिठाईयां बंट रही हैं।प्रधानमंत्री राष्ट्रपति ने ट्विट कर प्रसन्नता व्यक्त की है।उम्मीद है कि न्यायालय के निर्णय के बाद आये 345 मामले अब रुकेंगे।मुस्लिम महिलाओं के लिए एक नये युग का आरम्भ होगा।उनका तलाक हलाला आदि के नाम पर शोषण रुकेगा।आज की घटना नयी राजनीति को जन्म देगी।केन्द्र और राज्य सरकारें अपने नीचे के लोगों के पेंच कसते हुए पूर्ण ईमानदारी से इस दिशा में आगे बढ़ेंगीं।इस कानून या बिधेयक को अन्तिम न मानकर समय और आवश्यकतानुसार संशोधन परिवर्धन भी किया जायेगा।उच्च सदन में विभिन्न दलों की साढ़े चार घण्टें की बहस पक्ष विपक्ष की नियति को देश की जनता गम्भीरता लेगी और अपने निर्णयों से जोड़ेगी।
मुस्लिम महलाओं के लिए वाकई बहुत बड़ी जीत है . सवाल यह है कि लोग तीन तलाक के हक्क में थे या अभी भी हैं, उन की कोई बहन बेटी नहीं है ?