गीतिका/ग़ज़ल

जिंदगी

जिंदगी सवाल का जवाब ढूंढती है
बड़ी शिद्यत से बेहिसाब ढूंढती है
क्या है मक़सद यहां पे आने का
हो गये गुम कहां अल्फाज़ ढूंढती है
घूम के देख लिये दर बदर अंजुमन
है सवाल अब भी लाज़वाब ढूंढती है
कौन अपना है यहां कौन बेगाना है
दौर-ए- गम में खड़े हिसाब ढूंढती है
हो गया वक्त है ये रुह की आराईश का
फ़ानी दुनियां में क्या शबाब ढूंढती है
पुष्पा “स्वाती”

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 [email protected] प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है