लो आ गया सावन
लो आ गया सावन
बरखा बरसी आसमान से
भीगे तन और मन
लो आ गया सावन।
काले बदरा लगे नाचने
चली हवा सन सन
लो आ गया सावन।
भर गये सारे ताल तलैया
नदियां रही उफन
लो आ गया सावन।
कागज की मैं नाव चलाऊं
कहता बच्चों का मन
लो आ गया सावन।
बिजली चमके आसमान में
बढ़े दिल की धड़कन
लो आ गया सावन।
वसुंधरा सर ढकती अपना
ओढ़ हरा दामन
लो आ गया सावन।
भीगी धरती बीज पड़े
पल्लवित पुष्पित अन्न
लो आ गया सावन।
— अमृता जोशी