कविता

सावन से जीवन

नन्ही नन्ही सावन की बूंदे क्या मनमोहक रूप सजाती है
सूक्षम सुषम शबनम सी बनकर , यह फूलों पे इतराती है,
हंस हंस कर अपनी प्यारी, किस्मत पर कितना भरमाती है,
फिर मेघ बरसते हैं अम्बर से, शुभ शीतल अमृत बरसाते है ,
तरसते मन को देते है सुकून, सुख चैन यहाँ सब पाते हैं ,

सावन से जीवन में है संगीत, सावन बिन जीवन टूटा संतूरा है,
अपने जीवन का हर विकास, सावन भादों के बिना अधूरा है
इस ऋतू में प्रिय का साथ मिला, अब जीवन में नई बहारें है,
तन मन से हम उनके वोह मेरे हैं,एक दूजे के अटूट सहारे है,

प्रभु चरणों में अर्पित पुष्पांजलि है, शिव मंदिर में गीतांजलि है,
आपका घर आँगन महके खुशियों से,अर्पित मन से प्रेमांजलि है,

— जय प्रकाश भाटिया 

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845