कविता

हम इश्क करते-करते 

हम इश्क करते-करते
निभाना सीख गए।
वो इश्क करते-करते
सब का दिल
बहलाना सीख गए।

हम इश्क़ करते-करते
मोहब्बत के अफसाने
लिखने लग पढ़े।
वो इश्क करते-करते
हर जगह नए अफ़साने
गढ़ने लग पड़े।

हम इश्क करते-करते
सब को अपना
बनाना सीख गए ।
वो इश्क करते-करते
परायो को भी अपने
गले लगाना सीखें गए।

हम इश्क करते-करते
उस खुदा को अपना
महबूब बनाने लग पड़े।
वो इश्क करते-करते
हर किसी को अपना
खुदा मानने लग पड़े।

— राजीव डोगरा

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- [email protected] M- 9876777233