वो मस्त दिन…
तेरे ख्यालों में…
गुजरने लगे हैं
रात और दिन
तू पास हो न हो, तू संग मेरे रहता है !!
तेरे दीदार को…
तरसने लगे हैं
शामों – सहर
तेरे इंतजार में, आँखों से मोती बहता है !!
लेते हैं करवटें…
ये सोच
तुम्हें न सोचेंगे
पर तेरी यादों का, बक्सा खुला ही रहता है !!
वो मस्त दिन…
अब वापस
हमें मिलें न मिलें
तू मनाता है रोज, और दिल फिर से दुखा देता है !!
अंजु गुप्ता