लघुकथा

इंसानियत से दोस्ती

”चावड़ा जी, आज तो आपने ऐसी अनोखी मिसाल पेश की है, कि सारा देश आपको नमन कर रहा है.” हमने चावड़ा जी से कहा. रावपुरा पुलिस स्टेशन की टीम बाढ़-की सी स्थिति में लोगों की मदद को पहुंची थी, जिसको लीड कर रहे थे चावड़ा जी.

”मैंने कुछ ख़ास तो नहीं किया!” चावड़ा जी ने विनम्रता से कहा.

”जलस्तर को देखते हुए आपके पुलिसकर्मियों ने दो पेड़ों के बीच रस्सी बांधी और लोगों को उसके सहारे बाहर निकाला, यह आपकी महानता का प्रतीक है.” हमने कहा.

”यह तो हमारा कर्त्तव्य है. हम मौके पर जैसे हालात होते हैं, उसीके अनुरूप बचाव-कार्य की समीक्षा करते हैं और तदनुसार कार्य करते हैं. यहां हमें दो मजबूत पेड़ दिखाई दिए, हमने उन्हींके सहारे लोगों को पार करवाया, वैसे डूबते को तिनके का सहारा ही काफी होता है.” चावड़ा जी की विनम्रता चरम पर थी.

”आपने एक महीने की बच्ची को ठीक उसी तरह बचाया, जैसे कि वासुदेव जी ने भगवान श्री कृष्ण को उफनती यनुना नदी से पार करवाया था. यह विचार आपको कैसे आया?” हमारा अगला सवाल था.

”विश्वामित्री रेलवे स्टेशन के पास देवपुरा सेटलमेंट में करीब 70 परिवार बाढ़ में फंसे थे। इनमें से एक परिवार इस एक महीने की बच्ची का भी था. उस बच्ची को बचाना हमारे लिए एक चुनौती भरा काम था.”

”फिर आपने कैसे इस चुनौती से निपटा?” हमारी जिज्ञासा अपनी जगह बरकरार थी.

”दंपत्ति सोच में पड़े थे. मैंने उन्हें बताया कि पानी का स्तर बढ़ता रहेगा और फौरन बाहर निकलना जरूरी है.’ इतना समझाकर मैंने बच्ची को एक कंबल में लपेटा और प्लास्टिक की टोकरी में रख दिया और टोकरी सिर पर उठाकर निकल पड़ा.” चावड़ा जी ने बताया.

”आपको डर तो लग रहा होगा?”

”उस समय डर की नहीं हमें हिम्मत की जरूरत थी. सो अपने अंतर्मन से हिम्मत का आह्वान किया. हिम्मत के साथ किस्मत भी अच्छी थी, मैं बिना किसी परेशानी के बच्ची को लेकर सुरक्षित पानी से बाहर निकलकर आ सका.” चावड़ा जी की खुशी का ठिकाना नहीं था.

”यह हिम्मत आपको कैसे मिलती है?”

”मैंने इंसानियत से दोस्ती कर ली है. यही इंसानियत से दोस्ती हर जगह मुझे हिम्मत भी दिलाती है, बचाव के नए-नए उपाय भी सुझाती है और किस्मत का साथ भी दिलाती है.” चावड़ा जी ने अपनी व्यस्तता के बीच सब-इंस्पेक्टर जी,के, चावड़ा जी ने हमसे बात की, हम उनका आभार प्रकट कर एक संदेश के साथ वापिस आ गए.

इंसानियत से दोस्ती का यह संदेश शायद दोस्ती दिवस मनाने का सबसे नायाब तरीका था.

”हर दिन दोस्ती दिवस है, हर दिन इंसानियत से दोस्ती करो.” हमने सीख लिया था.

चलते-चलते

आज  ”फ्रेंडशिप डे” है. इस अवसर पर आप सबको सपरिवार स्नेहिल व हार्दिक शुभकामनाएं. दोस्ती दिवस पर एक दोस्ताना प्रयास-
इस महीने स्वतंत्रता दिवस भी है, उसी दिन रक्षा बंधन भी है और हमारे दोहते का जन्मदिन भी. 23 अगस्त को श्री कृष्ण जन्माष्टमी भी है. आप लोग इन सभी विषयों पर छोटे-छोटे बाल गीत लिखकर भेजिए. हम संपादित कर जितने एपीसोड बन सके बनाएंगे. यह आमंत्रण सभी के लिए खुला आमंत्रण है. बाल गीत भेजने के लिए हमारी ई.मेल-

[email protected]

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “इंसानियत से दोस्ती

  • लीला तिवानी

    काबिल दोस्तों का मिलना भी शायद तकदीर होती है,
    बहुत कम लोगों के हाथ में यह लकीर होती है.

    हमने रिश्तों को संभाला है,
    मोतियों की तरह,
    कोई गिर भी जाए तो,
    झुक के उठा लेते हैं.

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