गीत
हवा में विष नही घोलो, हमें ये घर चलाना है ।
सजन रे झूठ मत बोलो, हमें रिश्ता निभाना है ।।
छुपाना क्या तुम्ही से अब,
रहना जब तुम्हारें संग ।
ऐसी बात करें क्यों हम,
दिल में हो हमारे जंग ।।
रहे उलझन कभी मन में, हमको ही सुलझाना है ।
सजन रे झूठ मत बोलो, हमें रिश्ता निभाना है ।।
नही शक का निवारण है,
दिलों में शक नही रखना ।
हो कठिनाई कैसी भी,
हमें ही हल उसे करना ।।
मैं नदिया तुम सागर हो, हमको हृदय मिलाना है।
सजन रे झूठ मत बोलो, हमें रिश्ता निभाना है ।।
उलझन, तड़पन से ही दृग,
नम है प्रेम पनाहों में ।
छोड़ न देना मुझको तुम,
आहों और कराहों में ।।
रिश्ता है ये जन्मों का, इसको नही गँवाना है ।
सजन रे झूठ मत बोलो, हमें रिश्ता निभाना है ।।
— लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला