गीत/नवगीत

गीत

हवा में विष नही घोलो, हमें ये घर चलाना है ।
सजन रे झूठ मत बोलो, हमें रिश्ता निभाना है ।।

छुपाना क्या तुम्ही से अब,
रहना जब तुम्हारें संग ।
ऐसी बात करें क्यों हम,
दिल में हो हमारे जंग ।।
रहे उलझन कभी मन में, हमको ही सुलझाना है ।
सजन रे झूठ मत बोलो, हमें रिश्ता निभाना है ।।

नही शक का निवारण है,
दिलों में शक नही रखना ।
हो कठिनाई कैसी भी,
हमें ही हल उसे करना ।।
मैं नदिया तुम सागर हो, हमको हृदय मिलाना है।
सजन रे झूठ मत बोलो, हमें रिश्ता निभाना है ।।

उलझन, तड़पन से ही दृग,
नम है प्रेम पनाहों में ।
छोड़ न देना मुझको तुम,
आहों और कराहों में ।।
रिश्ता है ये जन्मों का, इसको नही गँवाना है ।
सजन रे झूठ मत बोलो, हमें रिश्ता निभाना है ।।

— लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला

लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला

जयपुर में 19 -11-1945 जन्म, एम् कॉम, DCWA, कंपनी सचिव (inter) तक शिक्षा अग्रगामी (मासिक),का सह-सम्पादक (1975 से 1978), निराला समाज (त्रैमासिक) 1978 से 1990 तक बाबूजी का भारत मित्र, नव्या, अखंड भारत(त्रैमासिक), साहित्य रागिनी, राजस्थान पत्रिका (दैनिक) आदि पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित, ओपन बुक्स ऑन लाइन, कविता लोक, आदि वेब मंचों द्वारा सामानित साहत्य - दोहे, कुण्डलिया छंद, गीत, कविताए, कहानिया और लघु कथाओं का अनवरत लेखन email- [email protected] पता - कृष्णा साकेत, 165, गंगोत्री नगर, गोपालपूरा, टोंक रोड, जयपुर -302018 (राजस्थान)