रोड शो-2: बात मस्त खबरों की
”रोड शो का अर्थ है डंके की चोट पर जगना-जगाना. क्या हम-आप तैयार जगने-जगाने के लिए?”
”जी, बिलकुल. इसीलिए तो हमें यह शानदार मंच मिला है.”
तो आइए देखते हैं इस बार इस रोड में क्या हो रहा है? ये मस्त खबरें केवल मस्ती के लिए नहीं हैं, बल्कि ज्ञानवर्द्धन के लिए भी हैं और बहुत कुछ सोचने-समझने के लिए भी.
अब बोन सीमेंट से ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज संभव
क्या आपने कभी बोन सीमेंट का नाम सुना है? हमने तो आज से पहले कभी नहीं सुना था. आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि अब ‘बोन सीमेंट ‘ तैयार भी हो गया है और इसके सफल प्रयोग भी शुरु हो गए हैं.
बोन सीमेंट के माध्यम से सर्जरी में रीढ़ की हड्डी का जो हिस्सा फ्रैक्चर हो जाता है उसमें ड्रिल करते हैं. इसके बाद उसमें सिरिंज के माध्यम से बोन सीमेंट को डालते हैं. इससे वह हिस्सा भर जाता है और मरीज का दर्द खत्म हो जाता है.
नोएडा का पहला पिंक टॉइलट शुरू, सैनिटरी नैपकिन की भी सुविधा
पिंक टॉइलट एक नई शुरुआत है. पिंक टॉइलट यानी वह टॉइलट जो सिर्फ़ महिलाओं के प्रयोग के लिए है और यहां पर सैनिटरी नैपकिन मशीन की भी सुविधा है. सेक्टर-50 स्थित मार्केट में महिलाओं के लिए तैयार किया गया शहर का पहला पिंक टॉइलट गुरुवार से शुरू हो गया है. शहर में 84 स्थानों पर मॉडर्न पब्लिक टॉइलट बनाए जाने थे. 74 बन चुके हैं 10 बचे हुए थे. अब उन 10 को सिर्फ महिलाओं के इस्तेमाल के लिए पिंक टॉइलट के रूप में बनाया जा रहा है.
तीन तलाक: जेल जाने के डर से जुड़ने लगे टूटे हुए रिश्ते
तीन तलाक बिल के राज्यसभा से पारित होने के बाद इसका असर समाज में दिखने लगा है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार देर रात इस बिल को अपनी मंजूरी दे दी. सरकार के इस कदम का असर अब दिख रहा है. टूटे हुए रिश्तों के जुड़ने की खबर राहत भरी है.
ऑफिस में देर तक करता था काम, साथियों ने पीटा
यह खबर आपको शायद अटपटी लगे, पर सौ फी सदी सत्य है. गुड़गांव से एक दिलचस्प खबर सामने आई है, जहां ऑफिस में देर तक काम करने वाले एक शख्स को उसके ही साथियों ने जमकर पीटा है. इस शख्स का नाम निष्ठावान बताया जा रहा है. यह शख्स देर तक रुककर ऑफिस में काम करता था जिस कारण उसके साथी कर्मचारी बहुत तनाव में रहते थे.
आपको शायद इस बात पर विश्वास न हो, लेकिन हम ऐसी बातों के भुक्तभोगी रहे हैं. बात 1982 की है. मैं एक स्कूल नई-नई नियुक्त हुई. पहले ही दिन मुझे प्रिंसिपल ने साप्ताहिक डायरी दी और हर सोमवार को डायरी अपनी टेबिल पर रखने के लिए कहा.
मुझे काम खूबसूरती से और समय पर करने की आदत थी. मैंने डायरी को खूबसूरत कवर से सजाया और स्वरचित कविता और चित्र से सजाकर डायरी सोमवार को डायरी प्रिंसिपल की टेबिल पर रख दी. अब जो भी टीचर प्रिंसिपल के कमरे में जाती, मेरी डायरी को देखकर खुसुर-पुसुर करने लगती. इंटरवेल में मुझे कहा गया-
”डायरी को इतना सजाने की जरूरत नहीं है और बुधवार से पहले मत रखा करो, अन्यथा हमारे लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी.” एक ने कहा.
”या तो इसकी बात मानो, अन्यथा हमारे लिए गुलाबजामुन मंगवा लो.” दूसरी ने कहा.
मैंने तुरंत गुलाबजामुन मंगवा दिए और सबको खिलाते हुए कहा- ”आप चाहे रोज गुलाबजामुन खाइए, पर मेरा काम ऐसा ही रहेगा और अनुशासन में रहेगा. अगर हम ही अनुशासित नहीं होंगे, तो छात्राओं को अनुशासित रहने की सीख कैसे दे सकेंगे?” थोड़े दिनों में सब चुप हो गईं और उनका काम भी समय पर आने लगा.
इसी तरह मैं जब सरोजिनी स्कूल में गई, वहां पर हमारे लिए डी.टी.सी. की स्पेशल बस चलती थी. इस बस में मैं और 3-4 छात्र-छात्राएं जाते थे. मैं स्कूल पौने सात पहुंच जाती थी. उस समय तक प्रिंसिपल भी आ चुकी होती थीं, हालांकि टाइम सात बजे का था. प्रिंसिपल सब नोट करती रहती थीं. मिसेज बख्शी भी हमारे घर के सामने रहती थी. उसको स्कूल पहुंचते-पहुंचते सवा सात-साढ़े सात बज जाते थे. प्रिंसिपल के पूछने पर कहती- ”मैडम बस नहीं मिली.”
प्रिंसिपल ने एक दिन कहा होगा- ”तिवानी भी तो तुम्हारे घर के पास रहती है, वह कैसे पौने सात बजे तक पहुंच जाती है?”
वह दनदनाती हुई स्टॉफ रूम में आई. मेरा पीरियड खाली था, मैं वहीं बैठी थी- ”तिवानी रोज स्कूल जल्दी पहुंचकर मेरे लिए मुसीबत खड़ी कर देती है.” मैं आदतन चुप ही रही. बाद में स्टॉफ से उसकी बहस से पता चला कि वह सिर्फ़ मेरे से पांच मिनट बाद बस स्टॉप पर आती है. चार साल में भी उसमें कोई सुधार नहीं आया.
दुनिया का सबसे ‘छोटा’ लैपटॉप, 1 इंच की है स्क्रीन
1 इंच की स्क्रीन वाला दुनिया का सबसे छोटा लैपटॉप. सुनने में यह थोड़ा अजीब जरूर है, लेकिन एक शख्स ने यह खास लैपटॉप तैयार किया है. इस शख्स का नाम पॉल क्लिन्गर है और उन्होंने ThinkTiny नाम का मिनी लैपटॉप बनाया है. यह लैपटॉप IBM के थिंकपैड का छोटा रूप है. थिंकपैड को अब लेनोवो बनाती है. क्लिन्गर के इस मिनी लैपटॉप में 0.96 इंच का डिस्प्ले दिया गया है. साथ ही, इस छोटे से लैपटॉप में थिंकपैड की तरह कीपैड के बीच में लाल कलर का ट्रैकपॉइंट स्टाइल कर्सर कंट्रोलर भी दिया गया है.
‘एडमन्ड डांटेस’ की मदद से लंदन में छिपे नीरव मोदी तक पहुंचा ईडी
लंदन में छिपे भारत से फरार भगोड़ा नीरव मोदी को प्रवर्तन निदेशालय ने उसके फर्जी फेसबुक अकाउंट की बदौलत ट्रैक कर लिया था. 2018 में भारत से भागे मोदी को इसी साल मार्च में गिरफ्तार किया गया था.
साथी स्टूडेंट ने पोर्टल हैक कर लॉक की गलत चॉइस, मेधावी छात्र को खोना पड़ा आईआईटी में ऐडमिशन का मौका
शरारत करना बुरी बात नहीं है, पर ऐसी शरारत नहीं करनी चाहिए कि किसी का पढ़ाई-नौकरी का एक साल ही खराब हो जाए. देश में इंजिनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए होने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) का रिजल्ट आने का बाद महाराष्ट्र के पुणे में एक साइबर हैकिंग का मामला सामने आया है. इस मामले में पुलिस ने आईटी ऐक्ट में केस दर्ज कर जांच शुरू की है.
अब तक की शायद सबसे कम कैद, शख्स को हुई 50 मिनट की जेल की सजा
ब्रिटेन की एक अदालत ने एक शख्स को महज 50 मिनट की कैद की सजा सुनाई है. यह संभवतः सबसे कम कैद की सजा है. यह सजा हुई है सोमरसेट के रहने वाले 23 साल के शेन जेनकिंस को.
कोर्ट ने दी अनोखी सजा: 200 पौधे लगाओ, 160 से कम बचे तो जाओ जेल
कोर्ट की अवमानना के दोषी पाए गए एक इंजिनियर को सजा दी गई है कि वह 200 पौधे लगाएं और उनका ध्यान रखें. कोर्ट ने कहा है कि अगर 160 से कम पौधे बचे तो इंजिनियर को एक महीने के लिए जेल जाना होगा. हमारे पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने के लिए ऐसी सजा सबसे अच्छी सजा है.
चेन्नै: सात साल के बच्चे के मुंह से निकाले गए 526 दांत, जबड़े में होने वाला दर्द खत्म
अंत में एक और मस्त खबर है- चेन्नै: सात साल के बच्चे के मुंह से निकाले गए 526 दांत, जबड़े में होने वाला दर्द खत्म. ऐसे अजूबे भी होते रहते हैं. तमिलनाडु की राजधानी चेन्नै में सात साल के एक बच्चे के मुंह से 526 दांत निकाले गए हैं. हैरानी की बात यह है कि ये दांत जबड़े की हड्डी में इस कदर लगे हुए थे कि बाहर से दिखाई ही नहीं देते थे. डेंटिस्ट्स ने सर्जरी करके कुल 526 दांत निकाले, अब इस बच्चे के मुंह में 21 दांत बचे हैं. सर्जरी के बाद बच्चे के जबड़े और पूरे मुंह में होने वाला दर्द भी खत्म हो गया है.
8 महीने से मायके में थी, ट्रिपल तलाक कानून बनते ही पत्नी को लेने पहुंचा पति
ट्रिपल तलाक कानून बनते ही पति को 8 माह से मायके में रह रही पत्नी और बच्चों की याद आ गई। 20 अप्रैल 2019 को ससुराल पक्ष के लोगों ने नसीमा को मार-पीटकर घर से निकाल दिया और वह तभी से सहारनपुर में अपने पिता के यहां रह रही थीं।