मोदी है तो मुमकिन है
मोदी ने करतब किया, घबराये फारूख।
महबूबा मुफ्ती गई, इक पल में ही सूख।।
धारा अब ना शेष है, अनुच्छेद भी बंद।
देशभक्त सच्चा करे, इसको आज पसंद।।
इक झंडा, इक गीत अब, किंचित नहीं विशेष।
व्यर्थ बात अब ना करो, वह कुछ ना अब शेष।।
केंद्र करेगा काम अब, इक से अब दो राज्य।
पर भारत की भूमि अब, होगी नहीं विभाज्य।।
मोदी ने रक्खा कदम, जब आगे की ओर।
नहीं हटेगा लक्ष्य से, कर लो कितना शोर।।
रक्षा का अब काम हो, यही आज उद्घोष।
लद्दाखी सेना लिये, अब सचमुच में रोष।।
उत्साहित तो फौज है, उल्लासित हर वीर।
नहीं रुकेगी अब ‘शरद’, तोप और शमशीर।।
कुछ नेता बांटा किये, केवल बस अलगाव।
नहीं मिलेगा दोस्तो, उनको किंचित भाव।।
कहे तिरंगा आज ये, बढ़ी आज मम् शान।
मोदी ने रक्खी मिरी, सचमुच में ही आन।।
आज गूंजता है ‘शरद’, भारत मां का गीत।
निभा रहे मोदी ‘शरद’, निज वचनों से प्रीत।।
— प्रो.शरद नारायण खरे