शानदार वापसी
भदोही के रहने वाले महादेव के जीवन में एक पड़ाव ऐसा आया, जब उन्होंने एथलेटिक्स छोड़ दिया. इसके बाद 2011 में एक समारोह के दौरान डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट खिलाड़ियों को सम्मानित कर रहे थे. लेकिन डीएम ने महादेव को सम्मानित करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उनकी वेशभूषा एथलीट की तरह नहीं थी. वे धोती कुर्ता पहने हुए थे. डीएम ने यह भी कहा कि खिलाड़ी तुम हो या तुम्हारा बेटा? डीएम की इस बात से महादेव को ठेस पहुंची.
वे महादेव थे. महादेव के लिए हलाहल विष का प्याला पीना आसान होता है, पर अपमान और ठेस का नहीं. उन्होंने अपमान को ही अपनी जिद्द या कि कहिए दृढ़ संकल्प की शक्ति में बदल डाला. 42 की उम्र में खेल में वापसी की बात ठान ली और जेवलिन थ्रो, लॉन्ग जम्प, स्टेपल चेज के लिए फिटनेस पर मेहनत की.
इन सबकी तैयारी के लिए पर्याप्त धन की आवश्यकता थी. जहां चाह, वहां राह. महादेव क्राउड फंडिंग यानी लोगों से ही पैसा जुटाते हैं और चैम्पियनशिप की तैयारी करते हैं.
2011 के कार्यक्रम में डीएम ने उनको मेडल गले में न पहनाकर हाथ में थमा दिया था. अब गले में मेडल पहनवाने का दृढ़ संकल्प तो जन्म ले ही चुका था. 4 जून 2012 को बेंगलुरु में हुई जेवलिन और 100 मीटर रिले रेस में हिस्सा लेकर गोल्ड हासिल किया और उनके हौसले को हवा मिल गई.
यही हौसला मेडलों के रूप में फलित होता गया.
नतीजा! सीनियर इंटनेशनल चैम्पियनशिप में महादेव देश के लिए अब तक 16 गोल्ड, 16 सिल्वर और 7 ब्रॉन्ज जीत चुके हैं.
अपने अपमान को अपनी जिद्द बनाकर महादेव ने जीत की शानदार पापसी की.
कश्मीर में धारा 370 की शानदार वापसी हुई है, इस अवसर पर महादेव की याद आना अवश्यम्भावी था. धारा 370 की शानदार वापसी के लिए भी सरकार को महादेव की भांति सुनियोजित कार्यक्रम और दृढ़ संकल्प की अत्यंत आवश्यकता थी.