ग़ज़ल
छुआ है होंठ को हमने इशारे में
किया इज़हार जानम ने इशारे में |
नयन की चाह थी देखूँ उन्हें जी भर
किया वो काम आँखों ने इशारे में |
लिया है अंगडाई प्रेयसी ने जब
नयन की भ्रूकुटी* ताने इशारे में (भृकुटी)
ज़रा आगे बढ़ी जब मित्रता गाडी
कही सम्पूर्ण अफ़साने इशारे में |
मुहब्बत में सदा बेबाक है ‘काली’
कही सब बात अनजाने इशारे में |
कालीपद ‘प्रसाद’