कविता

दिलखुश जुगलबंदी- 19

मौनव्रत अब भी कल्याणकारी है

राह चलते जब भी वो मिलते थे
मुस्कुराहटों के अनगिन फूल महकते थे
मन का बाग खिल-खिल जाता था
खुशियों के पल चहक-चहक जाते थे.
आज हम वॉट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर
की भूलभुलैया में खो गए है इतना
भूल गए है हम मिलना-जुलना
बतियाना, जी भर मुस्कुराना
खो गया नटखट बचपन, भोला-भाला
प्यार-नेह से सुख-दुःख में गले लगाना
पल भर भी नज़रें उठाना अब गवारा नहीं
कौन अपना, कौन पराया, जानना जरुरी नहीं
हम भी चलें, तुम भी चलो
साथी हमराह सभी, हमदर्द न है कोई
रिश्ते की मिठास में कब आई खटास पता नहीं.

खटास है जुबाँ पर, रिश्तों में हैं फासले
बंद दरवाजों के पीछे, कैद हैं उजाले!
गैजेट्स की भूलभुलैया में, भटक रहा इंसान है
कल्पना के आकाश में, ढूंढ रहा पहचान है!
समझ रहा है पगला, दुनिया उसकी मुट्ठी में,
खो रहा अपना जहाँ, तिलिस्म के मायाजाल में!
अधूरी चाहतों के पीछे, भाग रहा बदहवास है
फेसबुक की प्रोफाइल में, ढूंढता यार-दोस्त खास है
मतलबी संसार में रहा नहीं अब सार है!
सबका अपना-अपना जहाँ, जहाँ नहीं प्यार है!
क्रोध-हिंसा-अवसाद में, उलझा इंसान है
मौत के कुएँ में गोते लगा रहा नादान है.

मिलने जुलने के रास्ते
बेशक तमाम बदल गए हैं
पर देखो इनके नक्शे भी
दिलो-दिमाग पर छप गए हैं
वॉट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर
नये परिधान नये वस्त्र हैं
पोस्टकार्ड, इनलैंड लैटर
और बेतार के तार के
मनीऑर्डर बना है मोबिक्विक
तो कहीं बना है पेटीएम
तो कहीं बलशाली भीम
पहले खनखनाती थी जब
टेलीफोन की सदाबहार घंटी
तो सभी उस ओर भागते थे
अब जमाना भ्रमणभाष का है
जिसकी ध्वनि, धुनें अलग हैं
किसने फोन किया, कौन बुलाता
अलग धुनों से पता चल जाता
डिजिटल रिश्ते बेशक प्राणहीन हैं
पर उनमें से आती आवाजें
अभी भी सुख-दुख गिनाती हैं
रिश्ते की मिठास मीठी ही है
जुबां खटास बयान कर जाती है
अक्सर हमदर्द को दर्द दे जाती है
कहीं कुछ खोया नहीं है
पहले मौनव्रत हम धारण करते थे
अब भ्रमणभाष को करना है
मौनव्रत पहले भी लाभकारी था
अब भी कल्याणकारी है.

 

दिलखुश जुगलबंदी- 18 के कामेंट्स में चंचल जैन, रविंदर सूदन और सुदर्शन खन्ना काव्यमय चैट पर आधारित दिलखुश जुगलबंदी.

चंचल जैन का ब्लॉग-
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/chanchal/

कुसुम सुराना का ब्लॉग-
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/swayamsiddha/

सुदर्शन खन्ना का ब्लॉग
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/sudershan-navyug/

अपनी नई काव्य-पंक्तियों को कविता रूप में मेल से भेजें. जिनकी काव्य-पंक्तियां दिलखुश जुगलबंदी में सम्मिलित हो सकेंगी, उन्हें मेल से सूचित किया जाएगा. काव्य-पंक्तियां भेजने के लिए पता-

[email protected]

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “दिलखुश जुगलबंदी- 19

  • लीला तिवानी

    हमारे सभी संत-महंतों ने कहा है कि मौनव्रत कल्याणकारी है. महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा ‘सत्य के साथ प्रयोग’ में मौनव्रत को अत्यंत कल्याणकारी बताते हुए कहा है-
    ”मौनव्रत से मुझमें संयम आया, अपने विचारों पर नियंत्रण करना आया, मैं शब्द तोल-मोलकर बोलने लगा, इसलिए मेरी वाणी प्राभावशाली हो गई और कभी भी मुझे अपनी वाणी पर न तो पछताना पड़ा और न ही किसी विवाद का सामना करना पड़ा.”
    अति सबकी बुरी होती है. भ्रमणभाष यानी मोबाइल का अति प्रयोग भी हर तरह से हानिकारक है. इससे स्वास्थ्य भी दुष्प्रभावित होता है और रिश्ते भी,
    हमारे कवियों की पहुंच देखिए. बात रिश्तों में -मिठास-खटास से शुरु हुई थी और भ्रमणभाष के मौनव्रत का कल्याणकारी संदेश दे गई. धन्य हैं हमारे कवि.

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