गीत/नवगीत

भारत में पाक मिला देगें………

दहसत गर्दों की खैर नही, नापाक इरादे मिटा देगें
अमन कहीं जो छीनेंगें, भारत में पाक मिला देगें

कदम वीर सपूतों के, अब पीछे हटने वाले नही
छुपकर वार जो करते हैं, शेर वो हमने पाले नही
घर में घुस कर मारेगें, लाहौर हो या कराची हो
तुम कीचड जहां उछालोंगे, हम कमल वहीं खिला देगें
भारत में पाक मिला देगें……………………

भंवर में अब तक फंसी जो थी, वो कस्ती बाहर आयी है
असुरों की सियासत खतम हुई, अब राम ने लंका पाई है
हीरे मोती अब जड़ना है, इसे और अभी चमकाना है
डाका इस पर जो डालेगा, उसे लम्बी नींद सुला देगें
भारत में पाक मिला देगें……………………

लम्बी निशा में स्वर्गलोक था, विहान नया हम लाये हैं
अब तक त्रास बहुत झेले हैं, ठोकर भी खूब खाये हैं
इक इक वीर चट्टान बना है, उनसे मत टकराना तुम
हद को पार करोगें तो, इस्लामाबाद हिला देगें
भारत में पाक मिला देगें……………………

केसर का खेत हमारा था, हल गैर वहां पे चलाते थे
लहलहाती फसल हमारी थी, हमीं को वो डराते थे
अब (राज) वहां पर मेरा है, तानाशाही अब चली गई
आंखे अब भी खुली नही तो, हर रस्ता तुम्हे भुला देंगे
भारत में पाक मिला देगें……………………

राज कुमार तिवारी (राज)

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782