मुक्तक
लाठी है बुढ़ापे की छुड़ाने पे तुले हैं
हुंडी करम सारे भुनाने पर तुले हैं
तय है दिन ये आएंगे उन पर भी यकीनन
मां बाप को जो अपने सताने पे तुले हैं
— डॉ मनोज श्रीवास्तव
लाठी है बुढ़ापे की छुड़ाने पे तुले हैं
हुंडी करम सारे भुनाने पर तुले हैं
तय है दिन ये आएंगे उन पर भी यकीनन
मां बाप को जो अपने सताने पे तुले हैं
— डॉ मनोज श्रीवास्तव