ग़ज़ल
क्यों करें कोई शिकायत दोस्तों
है बुरी रोने की आदत दोस्तों
जो कभी कहते थे खुद को बावफा
सामने है अब हक़ीक़त दोस्तों
बेसबब ही खुद को उनपर वार के
सह रहा है दिल मलामत दोस्तों
जाओ अब मुझको अकेला छोड़ दो
मत करो कोई सियासत दोस्तों
हौसला है अब भी गिरकर मैं उठूं
फिर लिखूंगी इक इबारत दोस्तों
— साधना सिंह