कविता

समय

 

माँ ने आँगन में जो बोए थे सपनो के पौधे कभी,
वक्त की कंकरीट के आगे वो पौधे ही उजड गए।

पिता ने जो उम्मीद का दामन थामा था कभी,
वो उम्मीदे घर छोड़,नया असियां बनाने निकल गई।

दोनों ने मिलकर जो सपनो की पौध लगाई थी कभी,
वक्त के माली ने उनके बढ़ते ही उनकी जगह बदल दी।

जब लगा कि बस उस वृक्ष पर फल लगने ही वाले है,
वो डाली माँ-बाप को छोड़ दूसरे आँगन में झुक गयी।

वक्त के हाथों में सभी लोगो की सारी उम्मीदों के धागे है।
इच्छाएँ करे कोई कुछ भी सब उन धागों के आगे नाचे है।।

 

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- [email protected] एवं [email protected] ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)