कविता

प्रेम

प्रेम एक अनुभूति है,
हृदय से हृदय तक स्पंदित होती।
सच्चे प्रेम की अभिव्यक्ति को आवश्यकता नही,
शब्दों की बैसाखी की।
यह तो छलक ही पड़ता है,
पलकों की ओट से।
प्रियतम की एक झलक पाने को आतुर,
अध खुली अलसाई किंतु रोमांचित आंखें
सामने उसे पाते ही चमक उठती हैं।
वादा करने वाले सुन जरा खामोशी से;
हृदय की तेज होती धड़कनें,
स्वयं अभिव्यक्त कर देती है,
सभी मनोभावों को।
इशारो इशारो में हो जाते हैं सारे वायदे,
दिल से दिल की बात होती है।
भावनाओं की उमडती  नदी,
मानो आतुर हो उठती है;
प्रेम के सागर में समा जाने को।
यही तो है वास्तविक प्रेम,
जिसमें देह से पहले होता है;
 दो आत्माओं का मिलन।

*कल्पना सिंह

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