ग़ज़ल-अब भी है
दिल की पहले जैसी हालत अब भी है.
मुझको उससे प्यार – मुहब्बत अब भी है.
यों तो उससे अब रिश्ता है नज़दीकी,
फिर भी थोड़ी-बहुत नज़ाकत अब भी है.
अपना ग़म क्यों मुझसे न साझा करता वो,
मुझको उससे इतनी शिक़ायत अब भी है.
उसने जितने भी ख़त मुझको भेजे थे,
मेरे पास वो सारी दौलत अब भी है.
याद उसे सोने से पहले कर लेना,
रोज़ाना की मेरी आदत अब भी है.
अब भी वैसे गीत – ग़ज़ल मैं कहता हूँ,
मेरे ऊपर उसकी इनायत अब भी है.
— डॉ. कमलेश द्विवेदी
मो.9140282859