प्रतियोगिता
संगीत अध्यापक वरदानीलाल जी अपनी सहयोगी अध्यापिका नमिता और छात्राओं की टीम के साथ वापिस लौट रहे थे. टीम हमेशा की तरह क्षेत्रीय संगीत प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित की गई थी, इसलिए स्कूल टाइम में पहुंचने के लिए वे सब टैक्सी में आ रहे थे. रास्ते में वरदानीलाल जी का घर आ गया था, इसलिए नमिता ने उन्हें वहीं उतर जाने को कहा. वरदानीलाल जन्मजात दृष्टिबाधित अवश्य थे, अनुशासन-बाधित नहीं. उन्होंने स्कूल पहुंचकर, फिर घर आना ही उचित समझा.
”सर, आपके घर के सामने तो इतना बड़ा नाला है, आप इसे कैसे पार करते हैं?” नमिता ने पूछा था.
”ठीक उसी तरह जैसे आप लोग करती हैं.” जवाब मिला था.
”आपको पता कैसे लगता है, कि नाला आ गया है?”
”दृष्टिबाधित लोगों को एकीकृत व समावेशित शिक्षा दी जाती है, जहां हमें इस तरह की बाधाओं से सामना करने के लिए भी तैयार किया जाता है. इसके अतिरिक्त हम लोग दुनिया को नेविगेट करने के लिए केवल अपनी याददाश्त या ध्वनियों के विशिष्ट अनुक्रमों पर भरोसा करते हैं. यह परमात्मा की तरफ से हमें वरदान ही समझिए, आप इसे छ्ठी इंद्रिय भी कह सकती हैं, जो सामने संकट-बाधा आने पर सक्रिय हो जाती है.”
नमिता ने देखा कि छात्राएं उनके वार्तालाप को बड़े ध्यान से सुन रही थीं, इसलिए उनकी जानकारी बढ़ाने के लिए वह वरदानीलाल जी से बराबर सवाल पूछे जा रही थी, वे भी बड़े धैर्य से उनका जवाब दिए जा रहे थे.
”सर, आपकी इस फोल्डिंग बेंत या छ्ड़ी की क्या विशेषता है?”
”आपने बहुत अच्छा सवाल पूछा है. पहले मेरी छड़ी सामान्य होती थी, अब क्योंकि हमारे घर के आगे नाला भी है और नाले में बिजली का बड़ा-सा खंभा भी, मेरी छड़ी ऑटोमेटिक और डबल सेंसर बेस्ड टॉकिंग फोल्डिंग स्टिक नामक तीन वेरियंट वाली है. जब भी इस छड़ी के आगे पानी आता है तो कंट्रोलर में सिग्नल चले जाते हैं, जो ऑडियो सिस्टम को सक्रिय कर देता है. भीड़ भरे स्थानों में यूजर इस पर वॉयस अलर्ट-‘एक्सक्यूज मी, साइड प्लीज, भी लगा सकता है. इसमें वायब्रेशन मोड का भी प्रावधान है तथा प्रॉक्सिमिटी सेंसर का भी.”
अभी नमिता बहुत कुछ पूछती पर स्कूल नजदीक आ गया था, उसने छात्राओं को अनुशासन में चलने का संकेत दे दिया और वरदानीलाल अगली राज्य स्तर की प्रतियोगिता में जीत के लिए धुन और गीत के चयन में व्यस्त हो गए.
दृष्टिबाधित होते हुए भी कई दृष्टिबाधित लोगों को राह दिखा रही है टिफ्फनी ! यह विशेषता न केवल दृष्टिबाधित लोगों में होती है, अपितु सभी तरह के दिव्यांगों में इस तरह के साहस और उत्साह का प्रकटीकरण होता है, जो उनकी जिंदगी को आसान बी बनाता है और स्वाभिमान से जीने का सहारा भी बनता है.