ज़्यादातर मतलब का है व्यवहार आज की दुनिया में
ज्यादा तर मतलब का है व्यवहार आज की दुनिया में
है तो लेकिन कम है सच्चा प्यार आज की दुनिया में
यूँ तो हर सू भीड़ लगी है, रोज और बढ़ती भी है
पर गिनती के हैं तुम जैसे यार आज की दुनिया में
सच्चाई गुमसुम गुमसुम गुमनाम और बेदम सी है
सिर्फ़ फ़रेबों की है जय जयकार आज की दुनिया में
रात दुखी हो कर आँगन का शजर चाँदनी से बोला
किसको हम बूढ़ों की है दरकार आज की दुनिया में
होती जाती हैं नफ़रत की तेज रोज रफ़तार बहुत
सुस्त पड़ी है चाहत की रफ़्तार आज की दुनिया में
दरबारी वंदन अब इतना ख़ास हो गया मंचो पर
बेदम लगते हैं सच्चे अश’आर आज की दुनिया में
कहने को तो सब लगते हैं स्वस्थ देखने में लेकिन
लोग अधिकतर हैं जहनी बीमार आज की दुनिया में
बात अगर मेरी माने तो सीधे बहुत नही बनना तुम
सीधापन रह जाता है लाचार आज की दुनिया में
–– सतीश बंसल