मुक्तक/दोहा

शिक्षक दिवस (5 सितंबर) पर शिक्षक-वंदना

शिक्षक तेरी वंदना,करता मैं दिन-रात ।
तुमने ही सौंपी मुझे,उजली यह सौगात ।।

तुम से ही सद् सोच है,तुम से ही है ज्ञान ।
तुमने ही जीना दिया,जीने का सम्मान ।।

शिक्षक तुम तो सूर्य हो,तुम में है अति ताप ।
तुम में है जो तेज वह,कौन सकेगा माप ।।

शिक्षक तुम शीतल पवन,तुम हो जल की धार ।
कल-कल कर बढ़ते रहो,हमको देने सार ।।

शिक्षक तुम अरदास हो,हो आरती-अजान ।
तुम प्रेयर,स्तुति-भजन,जन-गण-मन का गान ।।

शिक्षक तुम कल्याण हो,परमारथ का भाव ।
तुमने ही सौंपा मुझे,संघर्षों का ताव ।।

शिक्षक तुम आवेश हो,ग्रंथों का हो रूप ।
संतों के हो संत तुम,हर पल उजली धूप ।।

शिक्षक तुम बनकर गुरू,करते मम् उध्दार ।
करते हो सिरजन नवल,तुम तो रचनाकार ।।

कुंभकार का रूप हो,रखते हो नव शिल्प ।
कर देते हो शिष्य का,तुम तो कायाकल्प ।।

युग निर्माता,हे गुरू,तुम में है देवत्व ।
आभारी मैं हूं सदा,दिया मुझे शिष्यत्व ।।

— प्रो.शरद नारायण खरे 

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]